Examine This Report on malkin ki malish

डॉउन सिंड्रोम और सेरेब्रल पाल्सी जैसे रोगों से पीड़ित बच्चों के लक्षणों को कम करने में मालिश काफी प्रभावी होती है। मालिश समय से पहले पैदा हुए बच्चों में मांसपेशिय तालमेल को सही बनाने में सहायक होती है। इसके साथ ही समय से पहले पैदा होने वाले जिन बच्चों की नियमित मालिश होती है उनका वजन अन्य की तुलना में तेजी से बढ़ता है और उनको बार-बार अस्पताल भी नहीं जाना पड़ता। डिलीवरी के समय अवसाद से ग्रस्त महिलाओं के बच्चे मालिश के दौरान कम रोते हैं, लेकिन धीरे-धीरे उनकी भावनाओं में बढ़ोतरी होने लगती है।

दिनभर व्यस्त जीवनशैली के कारण आप थक जाते हैं, और अक्सर पैरों में दर्द हो जाता है। इसके लिए पैरों की मसाज करवाना बेहद फायदेमंद होता है। पैरों की मसाज करने से मांसपेशियों में आया तनाव कम हो जाता है, साथ ही पैरों का दर्द भी दूर हो जाता है। मसाज करने से पैरों का रक्त प्रवाह भी बढ़ता है। पैरों की मसाज करने के लिए पहले उंगलियों से पैरों पर हल्के हाथ से कुछ ख़ास "प्रेशर पॉइंट्स" को दबाया जाता है। फिर धीरे-धीरे पूरे पैर की  मालिश की जाती है। (और पढ़ें - पैरों के दर्द के लिए आसान घरेलू उपाय)

और तीसरी बार आपको मसाज के दौरान here और मसाज के बाद में अपने हाथों से अत्यधिक तेल हटाने के लिए तौलिये की जरूरत पड़ेगी।

भागदौड़ भरी जिंदगी में आपका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने लगता है। इसके लिए खुद को आराम देना बेहद जरूरी है और मसाज इसके लिए बेहद अच्छा तरीका है। मसाज से न सिर्फ मस्तिष्क तनाव रहित होता है, बल्कि शरीर के दर्द को भी दूर करता है। हफ्ते में एक बार या महीने में तीन बार मसाज करवाना बेहद जरूरी है। इससे शारीरिक और मानसिक तनाव के लावा कुछ अन्य स्वास्थ्य समस्यें भी ठीक होती हैं। 

एक माह के बाद ही शिशु की मालिश का उचित समय माना जाता है। जन्म के बाद के पहले माह में बच्चे की नाभि पूरी तरह से सही स्थिति में आ जाती है। साथ ही जन्म के समय के मुकाबले बच्चे की त्वचा में संवेदनशीलता कम होती है।

बहुत तेज संगीत न चलाए, संगीत बैक्ग्राउण्ड में धीमे से बजना चाहिए। इससे मसाज में आनंद आना चाहिए न की आनंद खत्म होना चाहिए।

क्या आपको अपने पेनिस की मालिश करनी आती है? अगर नहीं, तो आज हम आपको बताएंगे कि आखिर लिंग की मालिश कैसे करनी चाहिए और इसके लिए आपको कौन-से तेल का इस्तेमाल करना चाहिए?

आपके हाथ के पास बहुत सारे तौलिये होने चाहिए: यह सुनिश्चित करें की आपके हाथ के पास नए, साफ तौलिये होने चाहिए, ताकि मसाज करते समय उन्हें उपयोग कर सकें। पहले तो आप जिस जगह पर मसाज कर रहें है उसे तौलिये से ढकें ताकि उस पर तेल (जिससे दाग लग सकता है) न लगे।

एक बार बच्चा मालिश के लिए तैयार हो जाए तो आप उसके पैरों से मालिश को शुरू करें। इसके लिए आप अपने हथेलियों पर तेल की कुछ बूंदें लें और बच्चे के तलवों पर मसाज करें। अपने हाथों के अंगूठे की मदद से बच्चे के पैरों की अंगुली और एड़ियों पर मालिश करें। फिर, अपनी हथेलियों से बच्चे के पैर पर नीचे और ऊपर हल्के से हाथ फेरें। धीरे-धीरे दोनों पैरों के नीचे और पंजों पर अंगूठे को गोल-गोल घुमाते हुए मालिश करें। व्यस्कों की मसाज की तरह आप बच्चों के पैरों की अंगुलियों को न खीचें। बच्चों के पैरों की मसाज के लिए आप उनके दोनों पंजों के ऊपरी भाग को हल्के हाथों से मालिश करें। इससे उनकी तंत्रिकाएं उत्तेजित होने में मदद मिलती है। (और पढ़ें - डिलीवरी के बाद माँ की देखभाल)

उसके बाद आपको आलिव ऑइल को एक स्टील के बर्तन में तेज़ गर्म कर लेना है।

हमारी साइट को यूज़ करने के साथ आप हमारी कुकी पॉलिसी से सहमति जताते हैं।कुकीज़ सेटिंग

आप बच्चे को डायपर पहने या बिना डायपर भी मालिश कर सकती हैं। लेकिन मालिश करने से पहले अपने बच्चे के डायपर को पेट से थोड़ा ढीला कर लें। बिना डायपर के मालिश करते समय आपके बच्चा अचानक बिस्तर को गंदा कर सकता है। मगर मालिश करते समय आपको बच्चे के पूरे शरीर की मालिश करनी चाहिए।

शिशु के जन्‍म के कुछ हफ्तों बाद आप मालिश करना शुरू कर सकते हैं लेकिन इसके लिए आपको बच्‍चे के मूड का भी खास ख्‍याल रखना है। मसाज के समय पर शिशु शांत और सचेत होना चाहिए। मालिश करने का तरीका ऐसा न अपनाएं जो बच्‍चे को सहज महसूस करवाए।

रीढ़ की हड्डी और अन्य हड्डियों पर मसाज न करें: रीढ़ की हड्डी और अन्य हड्डियों को दबाये नहीं। इससे आप जिसकी मसाज कर रहे हैं उसे असहज महसूस होगा और इससे फायदा होने की बजाय नुकसान ज्यादा होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *